हमारे संत गजानन
( तर्ज - यह प्रेम सदा भरपूर रहे )
मल्लाह भरे भवसागर के ,
हमरे वो संत गजानन है ।
विश्वास हमारा है दिलसे ,
खुद भक्तोंको
वो तन मन है || टेक ||
कितनी भी लाटे है जलमें ,
मद कामन की अरु लोभन की ।
उनकी एक लहजभरी नैनों से ,
हो जावेगी भंजन है ॥१ ॥
दुनिया की बूरी बातों से ,
ये जान बडी घबराती है ।
पर मन यह जार बड़ा भाई ,
उनके बिन कोउ न अंजन है ॥२ ॥
हम आन पडे दरपे उनकी ,
वो तारन है , दुख वारन है ।
दिल है कुर्बान उन्ही पर ये ,
बस जीवन में वोही धन है ॥ ३ ॥
तुकड्या कहे वलियों के मनकी ,
हो लहर हमारे दीनन पे ।
हर जायेंगे , कर जायेंगे ,
ये जीवन का सारा रण है || ४ ||
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